THE ULTIMATE GUIDE TO BEST HINDI STORY

The Ultimate Guide To best hindi story

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(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय

बाहरी साइटों का लिंक देने की हमारी नीति के बारे में पढ़ें.

उन्होंने देखा बच्चे पीपल के पेड़ के नीचे खेल रहे हैं। वह विषधर को परेशान कर रहे थे। विषधर कुछ नहीं कर रहा है।

यह बच्चों के लिए एक दक्षिण भारतीय लोक कथा है

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

गोपाल अपनी पत्नी के साथ दोपहर में आराम कर रहा था। पर उसके बेटे हरी को नींद नहीं आ रही थी। दरअसल हरी की स्कूल की छुट्टियां चल रहीं थी और उसके सारे दोस्त कहीं न कहीं घूमने चले गए थे। हरी घर में रहते रहते ऊब गया था। हरी ने अपनी माँ को जगाया और उनसे मिठाई खाने जाने के लिए पैसे मांगे। पर उसकी माँ उसकी बात टाल के फिर से सो गयी। हरी ने अपने पिता गोपाल से भी पैसे लेने की कोशिश करी पर निराशा ही हाथ लगी।

तेजस्वी यादव के हिमंत बिस्वा सरमा पर दिए बयान से छिड़ा विवाद, मणिपुर सीएम भी बोले

(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'

चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।

अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। निर्मल वर्मा

हरियाणा में बीफ़ के शक़ में बंगाल के एक युवक की पीट-पीटकर हत्या, क्या है पूरा मामला

यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।

शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में check here घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

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